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zooperstar
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इश्क जब एक...
Posted On 27/10/2008 22:53:27
इश्क जब एक तरफ़ हो तो सज़ा देता à¤¹à¥ˆ



इश्क जब एक तरफ़ हो तो सज़ा देता है
और जब दोनों तरफ़ हो तो मज़ा देता है।

अपने माथे पे ये बिंदिया की चमक रहने दो
ये सितारा मुझे मंज़िल के पता देता है।

ऐ नमकपाश तेरी साँवली सूरत की क़सम
दिल का हर ज़ख़्म तुझे दिल से दुआ देता है।

तू मुझे प्यार से देखे या न देखे ज़ालिम
तेरा अंदाज़ मोहब्बत का पता देता है।

मैं किसी ज़ाम का मोहताज नहीं हूँ ‘हसरत’
मेरा साकी मुझे आँखों से पिला देता है।


जब प्यार नहीं...
Posted On 27/10/2008 22:48:17
जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं à¤¦à¥‡à¤¤à¥‡




जब प्यार नहीं है तो भुला क्यों नहीं देते?
ख़त किसलिए रखे हैं जला क्यों नहीं देते?

किस वास्ते लिखा है हथेली पे मेरा नाम
मैं हर्फ़ ग़लत हूँ तो मिटा क्यों नहीं देते?

लिल्लाह शब-ओ-रोज़ की उलझन से निकालो
तुम मेरे नहीं हो तो बता क्यों नहीं देते?

रह रह के न तड़पाओ ऐ बेदर्द मसीहा
हाथों से मुझे ज़हर पिला क्यों नहीं देते?

जब इसकी वफ़ाओं पे यकीं तुमको नहीं है
‘हसरत’ को निग़ाहों से गिरा क्यों नहीं देते?

–

हर्फ = Syllable, Letter
शब-ओ-रोज़ = Night and Day


किसी रंजिश...
Posted On 27/10/2008 22:37:01
किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ à¤…भी


किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
मुझको अहसास दिला दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

मेरे रुकने से मेरी साँसें भी रुक जाएँगी
फ़ासले और बढ़ा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

ज़हर पीने की तो आदत थी ज़मानेवालों
अब कोई और दवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।

चलती राहों में यूँ ही आँख लगी है ‘फ़ाकिर’
भीड़ लोगों की हटा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी।


आज दिल से दुआ...
Posted On 27/10/2008 22:35:47
आज दिल से दुआ करे à¤•à¥‹à¤ˆ




आज दिल से दुआ करे कोई
हक़-ए-उलफ़त अदा करे कोई।

जिस तरह दिल मेरा तड़पता है
यूँ न तड़पे ख़ुदा करे कोई।

जान-ओ-दिल हमने कर दिए कुरबान
वो न माने तो क्या करे कोई।

मस्त नज़रों से ख़ुद मेरा साकी
फिर पिलाए पिया करे कोई।

शौक-ए-दीदार दिल में है ‘दर्शन’
आ भी जाए ख़ुदा करे कोई।


अपने हाथों...
Posted On 27/10/2008 22:30:27
अपने हाथों की लकीरों में बसा ले à¤®à¥à¤à¤•à¥‹





ो
मैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको।

मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको।

ख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको।

बादाह फिर बादाह है मैं ज़हर भी पी जाऊँ ‘क़तील’
शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको।

–

बादाह  = Wine, Spirits


बात साक़ी की...
Posted On 27/10/2008 22:29:27
बात साक़ी की न टाली à¤œà¤¾à¤à¤—ी




बात साक़ी की न टाली जाएगी
कर के तौबा तोड़ डाली जाएगी।

देख लेना वो न खाली जाएगी
आह जो दिल से निकाली जाएगी।

ग़र यही तर्ज़-ए-फुगाँ है अन्दलीब
तो भी गुलशन से निकाली जाएगी।

आते-आते आएगा उनको ख़याल
जाते-जाते बेख़याली जाएगी।

क्यों नहीं मिलती गले से तेग़-ए-नाज़
ईद क्या अब के भी खाली जाएगी।

–

फुगाँ = Cry of Pain
अन्दलीब = Nightingale
तेग़ = Sword


दिन कुछ ऐसे...
Posted On 27/10/2008 22:27:16

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है à¤•à¥‹à¤ˆ

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे अहसान उतारता है कोई।

आईना दिख के तसल्ली हुई
हमको इस घर में जानता है कोई।

फक गया है सज़र पे फल शायद
फिर से पत्थर उछालता है कोई।

फिर नज़र में लहू के छींटे हैं
तुमको शायद मुग़ालता है कोई।

देर से गूँजते हैं सन्नाटे
जैसे हमको पुकारता है कोई।

–
मुग़ालता = Illusions
सज़र = Branch