मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾
मृदॠà¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤®, अपने ही हाथों से आज पिलाऊà¤à¤—ा पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
पहले à¤à¥‹à¤— लगा लूठतेरा फिर पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जग पाà¤à¤—ा,
सबसे पहले तेरा सà¥à¤µà¤¾à¤—त करती मेरी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥¤
पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ तà¥à¤à¥‡ तो, विशà¥à¤µ तपाकर पूरà¥à¤£ निकालूà¤à¤—ा हाला,
à¤à¤• पाà¤à¤µ से साकी बनकर नाचूà¤à¤—ा लेकर पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
जीवन की मधà¥à¤¤à¤¾ तो तेरे ऊपर कब का वार चà¥à¤•à¤¾,
आज निछावर कर दूà¤à¤—ा मैं तà¥à¤ पर जग की मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¨à¥¤
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤®, तू मेरी हाला है, मैं तेरा पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾ पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
अपने को मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ à¤à¤°à¤•à¤° तू बनता है पीनेवाला,
मैं तà¥à¤à¤•à¥‹ छक छलका करता, मसà¥à¤¤ मà¥à¤à¥‡ पी तू होता,
à¤à¤• दूसरे की हम दोनों आज परसà¥à¤ªà¤° मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥¤
à¤à¤¾à¤µà¥à¤•à¤¤à¤¾ अंगूर लता से खींच कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ की हाला,
कवि साकी बनकर आया है à¤à¤°à¤•à¤° कविता का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
कà¤à¥€ न कण-à¤à¤° खाली होगा लाख पिà¤à¤, दो लाख पिà¤à¤!
पाठकगण हैं पीनेवाले, पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मेरी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥ªà¥¤
मधà¥à¤° à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं की सà¥à¤®à¤§à¥à¤° नितà¥à¤¯ बनाता हूठहाला,
à¤à¤°à¤¤à¤¾ हूठइस मधॠसे अपने अंतर का पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾ पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
उठा कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ के हाथों से सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उसे पी जाता हूà¤,
अपने ही में हूठमैं साकी, पीनेवाला, मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥«à¥¤
मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला,
'किस पथ से जाऊà¤?' असमंजस में है वह à¤à¥‹à¤²à¤¾à¤à¤¾à¤²à¤¾,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूठ-
'राह पकड़ तू à¤à¤• चला चल, पा जाà¤à¤—ा मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤'। ६।
चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला!
'दूर अà¤à¥€ है', पर, कहता है हर पथ बतलानेवाला,
हिमà¥à¤®à¤¤ है न बढूठआगे को साहस है न फिरà¥à¤ पीछे,
किंकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤µà¤ ¿à¤®à¥‚ढ़ मà¥à¤à¥‡ कर दूर खड़ी है मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥à¥¤
मà¥à¤– से तू अविरत कहता जा मधà¥, मदिरा, मादक हाला,
हाथों में अनà¥à¤à¤µ करता जा à¤à¤• ललित कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ किठजा मन में सà¥à¤®à¤§à¥à¤° सà¥à¤–कर, सà¥à¤‚दर साकी का,
और बढ़ा चल, पथिक, न तà¥à¤à¤•à¥‹ दूर लगेगी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥®à¥¤
मदिरा पीने की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ ही बन जाठजब हाला,
अधरों की आतà¥à¤°à¤¤à¤¾ में ही जब आà¤à¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ हो पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
बने धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ही करते-करते जब साकी साकार, सखे,
रहे न हाला, पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾, साकी, तà¥à¤à¥‡ मिलेगी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¯à¥¤
सà¥à¤¨, कलकल़ , छलछल़ मधà¥à¤˜à¤Ÿ से गिरती पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ में हाला,
सà¥à¤¨, रूनà¤à¥à¤¨ रूनà¤à¥à¤¨ चल वितरण करती मधॠसाकीबाला,
बस आ पहà¥à¤‚चे, दà¥à¤° नहीं कà¥à¤›, चार कदम अब चलना है,
चहक रहे, सà¥à¤¨, पीनेवाले, महक रही, ले, मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥¦à¥¤
जलतरंग बजता, जब चà¥à¤‚बन करता पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‡ को पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
वीणा à¤à¤‚कृत होती, चलती जब रूनà¤à¥à¤¨ साकीबाला,
डाà¤à¤Ÿ डपट मधà¥à¤µà¤¿à¤•à¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ की धà¥à¤µà¤¨à¤¿à¤¤ पखावज करती है,
मधà¥à¤°à¤µ से मधॠकी मादकता और बढ़ाती मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥§à¥¤
मेंहदी रंजित मृदà¥à¤² हथेली पर माणिक मधॠका पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
अंगूरी अवगà¥à¤‚ठन डाले सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ वरà¥à¤£ साकीबाला,
पाग बैंजनी, जामा नीला डाट डटे पीनेवाले,
इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤§à¤¨à¥à¤· से होड़ लगाती आज रंगीली मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥¨à¥¤
हाथों में आने से पहले नाज़ दिखाà¤à¤—ा पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
अधरों पर आने से पहले अदा दिखाà¤à¤—ी हाला,
बहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¥‡ इनकार करेगा साकी आने से पहले,
पथिक, न घबरा जाना, पहले मान करेगी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥©à¥¤
लाल सà¥à¤°à¤¾ की धार लपट सी कह न इसे देना जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾,
फेनिल मदिरा है, मत इसको कह देना उर का छाला,
दरà¥à¤¦ नशा है इस मदिरा का विगत सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ साकी हैं,
पीड़ा में आनंद जिसे हो, आठमेरी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥ªà¥¤
जगती की शीतल हाला सी पथिक, नहीं मेरी हाला,
जगती के ठंडे पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‡ सा पथिक, नहीं मेरा पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
जà¥à¤µà¤¾à¤² सà¥à¤°à¤¾ जलते पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‡ में दगà¥à¤§ हृदय की कविता है,
जलने से à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ न जो हो, आठमेरी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥«à¥¤
बहती हाला देखी, देखो लपट उठाती अब हाला,
देखो पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾ अब छूते ही होंठजला देनेवाला,
'होंठनहीं, सब देह दहे, पर पीने को दो बूंद मिले'
à¤à¤¸à¥‡ मधॠके दीवानों को आज बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥€ मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥¬à¥¤
धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सब जला चà¥à¤•à¥€ है, जिसके अंतर की जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾,
मंदिर, मसजिद, गिरिजे, सब को तोड़ चà¥à¤•à¤¾ जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादिरयों के फंदों को जो काट चà¥à¤•à¤¾,
कर सकती है आज उसी का सà¥à¤µà¤¾à¤—त मेरी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥à¥¤
लालायित अधरों से जिसने, हाय, नहीं चूमी हाला,
हरà¥à¤·-विकंपित कर से जिसने, हा, न छà¥à¤† मधॠका पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
हाथ पकड़ लजà¥à¤œà¤¿à¤¤ साकी को पास नहीं जिसने खींचा,
वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ सà¥à¤–ा डाली जीवन की उसने मधà¥à¤®à¤¯ मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥®à¥¤
बने पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ साकी, गंगाजल पावन हाला,
रहे फेरता अविरत गति से मधॠके पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ की माला'
'और लिये जा, और पीये जा', इसी मंतà¥à¤° का जाप करे'
मैं शिव की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ बन बैठूं, मंदिर हो यह मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥§à¥¯à¥¤
बजी न मंदिर में घड़ियाली, चढ़ी न पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ पर माला,
बैठा अपने à¤à¤µà¤¨ मà¥à¤…जà¥à¥›à¤¿à¤¨ देकर मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ में ताला,
लà¥à¤Ÿà¥‡ ख़जाने नरपितयों के गिरीं गढ़ों की दीवारें,
रहें मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤• पीनेवाले, खà¥à¤²à¥€ रहे यह मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¨à¥¦à¥¤
बड़े बड़े पिरवार मिटें यों, à¤à¤• न हो रोनेवाला,
हो जाà¤à¤ सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ महल वे, जहाठथिरकतीं सà¥à¤°à¤¬à¤¾à¤²à¤¾,
राजà¥à¤¯ उलट जाà¤à¤, à¤à¥‚पों की à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ सà¥à¤²à¤•à¥à¤·à¥à¤®à¥€ सो जाà¤,
जमे रहेंगे पीनेवाले, जगा करेगी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¨à¥§à¥¤
सब मिट जाà¤à¤, बना रहेगा सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° साकी, यम काला,
सूखें सब रस, बने रहेंगे, किनà¥à¤¤à¥, हलाहल औ' हाला,
धूमधाम औ' चहल पहल के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सà¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ बनें,
à¤à¤—ा करेगा अविरत मरघट, जगा करेगी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¨à¥¨à¥¤
à¤à¥à¤°à¤¾ सदा कहलायेगा जग में बाà¤à¤•à¤¾, मदचंचल पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
छैल छबीला, रसिया साकी, अलबेला पीनेवाला,
पटे कहाठसे, मधॠऔ' जग की जोड़ी ठीक नहीं,
जग जरà¥à¤œà¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¨, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£, पर नितà¥à¤¯ नवेली मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¨à¥©à¥¤
बिना पिये जो मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ को बà¥à¤°à¤¾ कहे, वह मतवाला,
पी लेने पर तो उसके मà¥à¤¹ पर पड़ जाà¤à¤—ा ताला,
दास दà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दोनों में है जीत सà¥à¤°à¤¾ की, पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‡ की,
विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤œà¤¯à¤¿à¤¨à¥€ बनकर जग में आई मेरी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¨à¥ªà¥¤
हरा à¤à¤°à¤¾ रहता मदिरालय, जग पर पड़ जाठपाला,
वहाठमà¥à¤¹à¤°à¥à¤°à¤® का तम छाà¤, यहाठहोलिका की जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾,
सà¥à¤µà¤°à¥à¤— लोक से सीधी उतरी वसà¥à¤§à¤¾ पर, दà¥à¤– कà¥à¤¯à¤¾ जाने,
पढ़े मरà¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤¾ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ सारी, ईद मनाती मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¨à¥«à¥¤
à¤à¤• बरस में, à¤à¤• बार ही जगती होली की जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾,
à¤à¤• बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला,
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚, किनà¥à¤¤à¥, किसी दिन आ मदिरालय में देखो,
दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मनाती मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¨à¥¬à¥¤
नहीं जानता कौन, मनà¥à¤œ आया बनकर पीनेवाला,
कौन अपिरिचत उस साकी से, जिसने दूध पिला पाला,
जीवन पाकर मानव पीकर मसà¥à¤¤ रहे, इस कारण ही,
जग में आकर सबसे पहले पाई उसने मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¨à¥à¥¤
बनी रहें अंगूर लताà¤à¤ जिनसे मिलती है हाला,
बनी रहे वह मिटटी जिससे बनता है मधॠका पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
बनी रहे वह मदिर पिपासा तृपà¥à¤¤ न जो होना जाने,
बनें रहें ये पीने वाले, बनी रहे यह मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¨à¥®à¥¤
सकà¥à¤¶à¤² समà¤à¥‹ मà¥à¤à¤•à¥‹, सकà¥à¤¶à¤² रहती यदि साकीबाला,
मंगल और अमंगल समà¤à¥‡ मसà¥à¤¤à¥€ में कà¥à¤¯à¤¾ मतवाला,
मितà¥à¤°à¥‹à¤‚, मेरी कà¥à¤·à¥‡à¤® न पूछो आकर, पर मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ की,
कहा करो 'जय राम' न मिलकर, कहा करो 'जय मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾'।।२९।
सूरà¥à¤¯ बने मधॠका विकà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾, सिंधॠबने घट, जल, हाला,
बादल बन-बन आठसाकी, à¤à¥‚मि बने मधॠका पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
à¤à¤¡à¤¼à¥€ लगाकर बरसे मदिरा रिमà¤à¤¿à¤®, रिमà¤à¤¿à¤®, रिमà¤à¤¿à¤® कर,
बेलि, विटप, तृण बन मैं पीऊà¤, वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠहो मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥¦à¥¤
तारक मणियों से सजà¥à¤œà¤¿à¤¤ नठबन जाठमधॠका पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
सीधा करके à¤à¤° दी जाठउसमें सागरजल हाला,
मजà¥à¤žà¤²à¥à¤¤à¤Œà¤¾ समीरण साकी बनकर अधरों पर छलका जाà¤,
फैले हों जो सागर तट से विशà¥à¤µ बने यह मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥§à¥¤
अधरों पर हो कोई à¤à¥€ रस जिहवा पर लगती हाला,
à¤à¤¾à¤œà¤¨ हो कोई हाथों में लगता रकà¥à¤–ा है पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
हर सूरत साकी की सूरत में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो जाती,
आà¤à¤–ों के आगे हो कà¥à¤› à¤à¥€, आà¤à¤–ों में है मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥¨à¥¤
पौधे आज बने हैं साकी ले ले फूलों का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
à¤à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ है जिसके अंदर पिरमल-मधà¥-सà¥à¤°à¤¿� �¤à¤¤ हाला,
माà¤à¤— माà¤à¤—कर à¤à¥à¤°à¤®à¤°à¥‹à¤‚ के दल रस की मदिरा पीते हैं,
à¤à¥‚म à¤à¤ªà¤• मद-à¤à¤‚पित होते, उपवन कà¥à¤¯à¤¾ है मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾!।३३।
पà¥à¤°à¤¤à¤¿ रसाल तरू साकी सा है, पà¥à¤°à¤¤à¤¿ मंजरिका है पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
छलक रही है जिसके बाहर मादक सौरठकी हाला,
छक जिसको मतवाली कोयल कूक रही डाली डाली
हर मधà¥à¤‹à¤¤à¥ में अमराई में जग उठती है मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥ªà¥¤
मंद à¤à¤•à¥‹à¤°à¥‹à¤‚ के पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ में मधà¥à¤‹à¤¤à¥ सौरठकी हाला
à¤à¤° à¤à¤°à¤•à¤° है अनिल पिलाता बनकर मधà¥-मद-मतवाला,
हरे हरे नव पलà¥à¤²à¤µ, तरूगण, नूतन डालें, वलà¥à¤²à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤,
छक छक, à¤à¥à¤• à¤à¥à¤• à¤à¥‚म रही हैं, मधà¥à¤¬à¤¨ में है मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥«à¥¤
साकी बन आती है पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ जब अरà¥à¤£à¤¾ ऊषा बाला,
तारक-मणि-मंडिà� �¤ चादर दे मोल धरा लेती हाला,
अगणित कर-किरणों से जिसको पी, खग पागल हो गाते,
पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤¤ में पूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में मà¥à¤–िरत होती मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥¬à¥¤
उतर नशा जब उसका जाता, आती है संधà¥à¤¯à¤¾ बाला,
बड़ी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€, बड़ी नशीली नितà¥à¤¯ ढला जाती हाला,
जीवन के संताप शोक सब इसको पीकर मिट जाते
सà¥à¤°à¤¾-सà¥à¤ªà¥à¤¤ होते मद-लोà¤à¥€ जागृत रहती मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥à¥¤
अंधकार है मधà¥à¤µà¤¿à¤•à¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° साकी शशिबाला
किरण किरण में जो छलकाती जाम जà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤ˆ का हाला,
पीकर जिसको चेतनता खो लेने लगते हैं à¤à¤ªà¤•à¥€
तारकदल से पीनेवाले, रात नहीं है, मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥®à¥¤
किसी ओर मैं आà¤à¤–ें फेरूà¤, दिखलाई देती हाला
किसी ओर मैं आà¤à¤–ें फेरूà¤, दिखलाई देता पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
किसी ओर मैं देखूं, मà¥à¤à¤•à¥‹ दिखलाई देता साकी
किसी ओर देखूं, दिखलाई पड़ती मà¥à¤à¤•à¥‹ मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥©à¥¯à¥¤
साकी बन मà¥à¤°à¤²à¥€ आई साथ लिठकर में पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
जिनमें वह छलकाती लाई अधर-सà¥à¤§à¤¾-रस की हाला,
योगिराज कर संगत उसकी नटवर नागर कहलाà¤,
देखो कैसों-कैसों को है नाच नचाती मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥ªà¥¦à¥¤
वादक बन मधॠका विकà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ लाया सà¥à¤°-सà¥à¤®à¤§à¥à¤°-हाल� �¤¾,
रागिनियाठबन साकी आई à¤à¤°à¤•à¤° तारों का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
विकà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ के संकेतों पर दौड़ लयों, आलापों में,
पान कराती शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤—ण को, à¤à¤‚कृत वीणा मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥ªà¥§à¥¤
चितà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बन साकी आता लेकर तूली का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
जिसमें à¤à¤°à¤•à¤° पान कराता वह बहॠरस-रंगी हाला,
मन के चितà¥à¤° जिसे पी-पीकर रंग-बिरंगे हो जाते,
चितà¥à¤°à¤ªà¤Ÿà¥€ पर नाच रही है à¤à¤• मनोहर मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥ªà¥¨à¥¤
घन शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤² अंगूर लता से खिंच खिंच यह आती हाला,
अरूण-कमल-कोमल कलियों की पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥€, फूलों का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
लोल हिलोरें साकी बन बन माणिक मधॠसे à¤à¤° जातीं,
हंस मजà¥à¤žà¤²à¥à¤¤à¤Œà¤¾ होते पी पीकर मानसरोवर मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥ªà¥©à¥¤
हिम शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ अंगूर लता-सी फैली, हिम जल है हाला,
चंचल नदियाठसाकी बनकर, à¤à¤°à¤•à¤° लहरों का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
कोमल कूर-करों में अपने छलकाती निशिदिन चलतीं,
पीकर खेत खड़े लहराते, à¤à¤¾à¤°à¤¤ पावन मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥ªà¥ªà¥¤
धीर सà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के हृदय रकà¥à¤¤ की आज बना रकà¥à¤¤à¤¿à¤® हाला,
वीर सà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के वर शीशों का हाथों में लेकर पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
अति उदार दानी साकी है आज बनी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤®à¤¾à¤¤à¤¾,
सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ है तृषित कालिका बलिवेदी है मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥ªà¥«à¥¤
दà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤°à¤¾ मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ ने मà¥à¤à¤•à¥‹ कहकर है पीनेवाला,
ठà¥à¤•à¤°à¤¾à¤¯à¤¾ ठाकà¥à¤°à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ ने देख हथेली पर पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
कहाठठिकाना मिलता जग में à¤à¤²à¤¾ अà¤à¤¾à¤—े काफिर को?
शरणसà¥à¤¥à¤² बनकर न मà¥à¤à¥‡ यदि अपना लेती मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥ªà¥¬à¥¤
पथिक बना मैं घूम रहा हूà¤, सà¤à¥€ जगह मिलती हाला,
सà¤à¥€ जगह मिल जाता साकी, सà¤à¥€ जगह मिलता पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
मà¥à¤à¥‡ ठहरने का, हे मितà¥à¤°à¥‹à¤‚, कषà¥à¤Ÿ नहीं कà¥à¤› à¤à¥€ होता,
मिले न मंदिर, मिले न मसà¥à¤œà¤¿à¤¦, मिल जाती है मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥ªà¥à¥¤
सजें न मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ और नमाज़ी कहता है अलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾à¤²à¤¾,
सजधजकर, पर, साकी आता, बन ठनकर, पीनेवाला,
शेख, कहाठतà¥à¤²à¤¨à¤¾ हो सकती मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ की मदिरालय से
चिर विधवा है मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ तेरी, सदा सà¥à¤¹à¤¾à¤—िन मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥ªà¥®à¥¤
बजी नफ़ीरी और नमाज़ी à¤à¥‚ल गया अलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾à¤²à¤¾,
गाज गिरी, पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ सà¥à¤°à¤¾ में मगà¥à¤¨ रहा पीनेवाला,
शेख, बà¥à¤°à¤¾ मत मानो इसको, साफ़ कहूठतो मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ को
अà¤à¥€ यà¥à¤—ों तक सिखलाà¤à¤—ी धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगाना मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾!।४९।
मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ औ' हिनà¥à¤¦à¥‚ है दो, à¤à¤•, मगर, उनका पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
à¤à¤•, मगर, उनका मदिरालय, à¤à¤•, मगर, उनकी हाला,
दोनों रहते à¤à¤• न जब तक मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में जाते,
बैर बढ़ाते मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° मेल कराती मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾!।५०।
कोई à¤à¥€ हो शेख नमाज़ी या पंडित जपता माला,
बैर à¤à¤¾à¤µ चाहे जितना हो मदिरा से रखनेवाला,
à¤à¤• बार बस मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ के आगे से होकर निकले,
देखूठकैसे थाम न लेती दामन उसका मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾!।५१।
और रसों में सà¥à¤µà¤¾à¤¦ तà¤à¥€ तक, दूर जà¤à¥€ तक है हाला,
इतरा लें सब पातà¥à¤° न जब तक, आगे आता है पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
कर लें पूजा शेख, पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ तब तक मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में
घूà¤à¤˜à¤Ÿ का पट खोल न जब तक à¤à¤¾à¤à¤• रही है मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥«à¥¨à¥¤
आज करे परहेज़ जगत, पर, कल पीनी होगी हाला,
आज करे इनà¥à¤•à¤¾à¤° जगत पर कल पीना होगा पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
होने दो पैदा मद का महमूद जगत में कोई, फिर
जहाठअà¤à¥€ हैं मनà¥à¤¿à¤¦à¤° मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ वहाठबनेगी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥«à¥©à¥¤
यजà¥à¤ž अगà¥à¤¨à¤¿ सी धधक रही है मधॠकी à¤à¤Ÿà¤ ी की जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾,
ऋषि सा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगा बैठा है हर मदिरा पीने वाला,
मà¥à¤¨à¤¿ कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं सी मधà¥à¤˜à¤Ÿ ले फिरतीं साकीबालाà¤à¤,
किसी तपोवन से कà¥à¤¯à¤¾ कम है मेरी पावन मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥«à¥ªà¥¤
सोम सà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤–े पीते थे, हम कहते उसको हाला,
दà¥à¤°à¥‹à¤£à¤•à¤²à¤¶ जिसको कहते थे, आज वही मधà¥à¤˜à¤Ÿ आला,
वेदिवहित यह रसà¥à¤® न छोड़ो वेदों के ठेकेदारों,
यà¥à¤— यà¥à¤— से है पà¥à¤œà¤¤à¥€ आई नई नहीं है मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥«à¥«à¥¤
वही वारूणी जो थी सागर मथकर निकली अब हाला,
रंà¤à¤¾ की संतान जगत में कहलाती 'साकीबाला',
देव अदेव जिसे ले आà¤, संत महंत मिटा देंगे!
किसमें कितना दम खम, इसको खूब समà¤à¤¤à¥€ मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥«à¥¬à¥¤
कà¤à¥€ न सà¥à¤¨ पड़ता, 'इसने, हा, छू दी मेरी हाला',
कà¤à¥€ न कोई कहता, 'उसने जूठा कर डाला पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾',
सà¤à¥€ जाति के लोग यहाठपर साथ बैठकर पीते हैं,
सौ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ का करती है काम अकेले मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥«à¥à¥¤
शà¥à¤°à¤®, संकट, संताप, सà¤à¥€ तà¥à¤® à¤à¥‚ला करते पी हाला,
सबक बड़ा तà¥à¤® सीख चà¥à¤•à¥‡ यदि सीखा रहना मतवाला,
वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ बने जाते हो हिरजन, तà¥à¤® तो मधà¥à¤œà¤¨ ही अचà¥à¤›à¥‡,
ठà¥à¤•à¤°à¤¾à¤¤à¥‡ हिर मंिदरवाले, पलक बिछाती मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥«à¥®à¥¤
à¤à¤• तरह से सबका सà¥à¤µà¤¾à¤—त करती है साकीबाला,
अजà¥à¤ž विजà¥à¤ž में है कà¥à¤¯à¤¾ अंतर हो जाने पर मतवाला,
रंक राव में à¤à¥‡à¤¦ हà¥à¤† है कà¤à¥€ नहीं मदिरालय में,
सामà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ की पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• है यह मेरी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥«à¥¯à¥¤
बार बार मैंने आगे बढ़ आज नहीं माà¤à¤—ी हाला,
समठन लेना इससे मà¥à¤à¤•à¥‹ साधारण पीने वाला,
हो तो लेने दो ठसाकी दूर पà¥à¤°à¤¥à¤® संकोचों को,
मेरे ही सà¥à¤µà¤° से फिर सारी गूà¤à¤œ उठेगी मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¬à¥¦à¥¤
कल? कल पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ किया कब करता है पीनेवाला
हो सकते कल कर जड़ जिनसे फिर फिर आज उठा पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
आज हाथ में था, वह खोया, कल का कौन à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ है,
कल की हो न मà¥à¤à¥‡ मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ काल कà¥à¤Ÿà¤¿à¤² की मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¬à¥§à¥¤
आज मिला अवसर, तब फिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मैं न छकूठजी-à¤à¤° हाला
आज मिला मौका, तब फिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ढाल न लूठजी-à¤à¤° पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
छेड़छाड़ अपने साकी से आज न कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ जी-à¤à¤° कर लूà¤,
à¤à¤• बार ही तो मिलनी है जीवन की यह मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¬à¥¨à¥¤
आज सजीव बना लो, पà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥€, अपने अधरों का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
à¤à¤° लो, à¤à¤° लो, à¤à¤° लो इसमें, यौवन मधà¥à¤°à¤¸ की हाला,
और लगा मेरे होठों से à¤à¥‚ल हटाना तà¥à¤® जाओ,
अथक बनू मैं पीनेवाला, खà¥à¤²à¥‡ पà¥à¤°à¤£à¤¯ की मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¬à¥©à¥¤
सà¥à¤®à¥à¤–ी तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मà¥à¤– ही, मà¥à¤à¤•à¥‹ कनà¥à¤šà¤¨ का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾
छलक रही है जिसमंे माणिक रूप मधà¥à¤° मादक हाला,
मैं ही साकी बनता, मैं ही पीने वाला बनता हूà¤
जहाठकहीं मिल बैठे हम तà¥à¤®à¤¼ वहीं गयी हो मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¬à¥ªà¥¤
दो दिन ही मधॠमà¥à¤à¥‡ पिलाकर ऊब उठी साकीबाला,
à¤à¤°à¤•à¤° अब खिसका देती है वह मेरे आगे पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
नाज़, अदा, अंदाजों से अब, हाय पिलाना दूर हà¥à¤†,
अब तो कर देती है केवल फ़रà¥à¥› -अदाई मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¬à¥«à¥¤
छोटे-से जीवन में कितना पà¥à¤¯à¤¾à¤° करà¥à¤, पी लूठहाला,
आने के ही साथ जगत में कहलाया 'जानेवाला',
सà¥à¤µà¤¾à¤—त के ही साथ विदा की होती देखी तैयारी,
बंद लगी होने खà¥à¤²à¤¤à¥‡ ही मेरी जीवन-मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤� �¥¤à¥¬à¥¬à¥¤
कà¥à¤¯à¤¾ पीना, निरà¥à¤¦à¥à¤µà¤¨à¥à¤¦ न जब तक ढाला पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ पर पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾,
कà¥à¤¯à¤¾ जीना, निरंिचत न जब तक साथ रहे साकीबाला,
खोने का à¤à¤¯, हाय, लगा है पाने के सà¥à¤– के पीछे,
मिलने का आनंद न देती मिलकर के à¤à¥€ मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¬à¥à¥¤
मà¥à¤à¥‡ पिलाने को लाठहो इतनी थोड़ी-सी हाला!
मà¥à¤à¥‡ दिखाने को लाठहो à¤à¤• यही छिछला पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾!
इतनी पी जीने से अचà¥à¤›à¤¾ सागर की ले पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ मरà¥à¤,
सिंधà¤à¥-तृषा दी किसने रचकर बिंदà¥-बराबर मधà¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¥¤à¥¤à¥¬à¥®à¥¤
कà¥à¤¯à¤¾ कहता है, रह न गई अब तेरे à¤à¤¾à¤œà¤¨ में हाला,
कà¥à¤¯à¤¾ कहता है, अब न चल